जहरीले सांपों को देखते ही लोग सिहर उठते हैं। लेकिन बिहार का 23 वरà¥à¤·à¥€à¤¯ यà¥à¤µà¤• मोहमà¥à¤®à¤¦ करीम मंसूरी सांप को देखते ही ख़à¥à¤¶à¥€ से पागल हो उठता है। सरà¥à¤ªà¤¦à¤‚श के बगैर मोहमà¥à¤®à¤¦ करीम अपनी जीवन की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ नहीं कर सकता। सांपों के विष को अपने जिसà¥à¤® में उतारने के बाद ही उसे चैन की नींद आती है।
सà¥à¤¬à¤¹ होते ही वह चाय या नाशà¥à¤¤à¤¾ की खà¥à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¶ जाहिर नहीं करता। बिसà¥à¤¤à¤° से उठने के बाद वह गाà¤à¤µ के आस पास उगी à¤à¤¾à¥œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जहरीले सांपों की तलाश में लग जाता है। पिछले à¤à¤• दशक से उसकी दिनचरà¥à¤¯à¤¾ पूरी तरह विषमय हो गई है। अकà¥à¤¸à¤° वह अपनी गरà¥à¤¦à¤¨ में जहरीला सांप लपेटे रखता है। उसकी सबसे बड़ी यह समसà¥à¤¯à¤¾ यही है कि आबादी पहले बहà¥à¤¤ घट गई है।