आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ से चिकितà¥à¤¸à¤¾ करते समय कà¥à¤› खास बातों पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया जाता है तथा इस चिकितà¥à¤¸à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ में हमें कà¥à¤› विशेष सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾à¤à¤ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है।
आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ à¤à¤• समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ की चिकितà¥à¤¸à¤¾ मानी जाती है। इस पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° चिकितà¥à¤¸à¤¾ करते हà¥à¤ वैध केवल रोगगà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ अंग अथवा केवल रोग के लकà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ को ही नहीं देखता बलà¥à¤•à¤¿ इनके साथ-साथ रोगी के मन, शारीरिक पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿, आतà¥à¤®à¤¾ à¤à¤µà¤‚ वात आदि दोषों, मलों और धातà¥à¤“ं (रकà¥à¤¤ आदि) की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखता है। यही कारण है कि à¤à¤• ही रोग होने पर à¤à¥€ अलग-अलग रोगियों की औषधियों में à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ पाई जाती है।