इस संसार में राजा हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° का नाम कौन नहीं जानता। वे बहà¥à¤¤ ही उदार हृदय और दयालॠथे। वे अपने जीवन से अधिक सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और ईमानदारी को महतà¥à¤¤à¥à¤µ देते थे। इसलिठसà¤à¥€ देवता और ऋषि- मà¥à¤¨à¤¿ à¤à¥€ महाराज हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° का आदर और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते थे।
à¤à¤• बार सà¤à¥€ देवता ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने विचार किया कि महाराज हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° वासà¥à¤¤à¤µ में सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और ईमानदारी का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ हैं। जहाठसचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और ईमानदारी की बात आती है, वहाठराजा हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° का नाम सबसे पहले लिया जाता है।
ऋषियों की बात सà¥à¤¨à¤•à¤° विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° ने कहा― ‛मैं आपकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूठकि महाराज हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ और ईमानदार हैं। उनके पास धन-दौलत, सतà¥à¤¤à¤¾, सà¥à¤‚दर-सा सà¥à¤–ी परिवार है। लेकिन विपतà¥à¤¤à¤¿ आने पर अचà¥à¤›à¥‡-से-अचà¥à¤›à¤¾ इंसान à¤à¥€ बेईमान हो जाता है। आप इस बात को पूरे विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ कैसे कह सकते हैं कि महाराज हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° विपतà¥à¤¤à¤¿ के समय में à¤à¥€ सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और ईमानदारी का साथ नहीं छोड़ेंगे।’
सà¤à¥€ ऋषियों ने मिलकर विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° से राजा हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ परखने के लिठकहा। विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° ने ऋषियों की बात मानकर हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° की सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ की परीकà¥à¤·à¤¾ लेने का निशà¥à¤šà¤¯ किया। विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° ने à¤à¤¿à¤•à¥à¤·à¥à¤“ं का वेश बनाकर महाराज हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° से उनका राजà¥à¤¯, धन-संपतà¥à¤¤à¤¿, जमीन-जायदाद सब कà¥à¤› माà¤à¤— लिया। सतà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° ने बिना सोचे ही सà¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤à¤ ख़à¥à¤¶à¥€ से दे दीं। हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° के पास धन-दौलत, घर, सà¥à¤– के साधन कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं बचा। हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° ने अपने करà¥à¤œ को चà¥à¤•à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठअपनी पतà¥à¤¨à¥€ और बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ को à¤à¥€ बेच दिया। पतà¥à¤¨à¥€ और बचà¥à¤šà¥‡ को बेचने के बाद à¤à¥€ कà¥à¤› करà¥à¤œ शेष रह गया तो हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° ने सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को à¤à¤• शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨ के मालिक के हाथों बेच दिया।
à¤à¤• दिन ऋषि विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° के पास आकर बोले―‛यदि तà¥à¤® à¤à¤• असतà¥à¤¯ वाकà¥à¤¯ वाकà¥à¤¯ कह दो तो मैं तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ सब कà¥à¤› वापस दे सकता हूà¤à¥¤’
हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° ने विनमà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• कहा―‛महरà¥à¤·à¤¿, सतà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ जयते अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤¯ की ही जय होती है।’
à¤à¤• दिन हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° के पà¥à¤¤à¥à¤° की साà¤à¤ª के काटने से मृतà¥à¤¯à¥ हो गई। जिस समय हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° शà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¨ में काम कर रहे थे तà¤à¥€ उनकी पतà¥à¤¨à¥€ अपने मृत पà¥à¤¤à¥à¤° को गोद में लेकर रोती हà¥à¤ˆ वहाठपर आ गई। उस समय हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° की पतà¥à¤¨à¥€ के पास अपने पà¥à¤¤à¥à¤° के अनà¥à¤¤à¤¿à¤® संसà¥à¤•à¤¾à¤° की लकड़ियों के लिठपैसे नहीं थे। हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° अपने पà¥à¤¤à¥à¤° को मरा हà¥à¤† देखकर जोर-जोर से रोने लगे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और ईमानदारी का पालन करते हà¥à¤ अपने पà¥à¤¤à¥à¤° का अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° करने से मना कर दिया।
तà¤à¥€ हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° के सामने विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° ने आकर कहा―‛राजन, तà¥à¤® अपने पà¥à¤¤à¥à¤° का अंतिम संसà¥à¤•à¤¾à¤° करो। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ मालिक को इस विषय में कà¥à¤› à¤à¥€ पता नहीं चलेगा।’
राजा हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° ने रोते हà¥à¤ कहा―‛अपने मालिक के à¤à¤°à¥‹à¤¸à¥‡ को मैं कà¤à¥€ à¤à¥€ तोड़ नहीं सकता। उनका मà¥à¤ पर पूरा विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है।’
हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° की बातें सà¥à¤¨à¤•à¤° विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° ने पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर उनका राजà¥à¤¯, धन-दौलत, जमीन-जायदाद सब कà¥à¤› लौटा दिया और उनके पà¥à¤¤à¥à¤° को अपनी दिवà¥à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जीवित कर दिया। विशà¥à¤µà¤¾à¤®à¤¿à¤¤à¥à¤° ने हरिशà¥à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤° की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करते हà¥à¤ कहा कि राजन तà¥à¤®à¤¨à¥‡ सिदà¥à¤§ कर दिया कि सतà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ जयते अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सतà¥à¤¯ की जय होती है।
शिकà¥à¤·à¤¾â€•à¤‡à¤¸ कहानी से हमें यह शिकà¥à¤·à¤¾ मिलती है कि हमें अपनी सचà¥à¤šà¤¾à¤ˆ और ईमानदारी पर अटल रहना चाहिà¤à¥¤ इसी से हमारी विजय होती है।