à¤à¤• गाà¤à¤µ में सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ में à¤à¤• बार हाट लगती थी। दाल, सबà¥à¤œà¥€, अनाज, कपड़े यानि घर-गृहसà¥à¤¥à¥€ का सारा सामान उस हाट में मिल जाता था। आस-पास के गाà¤à¤µà¥‹à¤‚ से à¤à¥€ लोग उस हाट से सामान खरीदने आते थे। दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¦à¤¾à¤° हाट में बेचने के लिठअपना सामान बैलगाड़ी, ऊà¤à¤Ÿ,खचà¥à¤šà¤° पर लादकर लाते थे। छोटे-छोटे दà¥à¤•à¤¾à¤¨à¤¦à¤¾à¤° तो सामान को सिर पर ही रख लाते थे। उस गाà¤à¤µ में कà¥à¤‚जड़ा और कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° à¤à¥€ रहते थे। वे दोनों à¤à¥€ अपना सामान हाट में ले जाकर बेचते थे। कà¥à¤‚जड़ा हाट में सबà¥à¤œà¥€ और फल बेचता था और कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° को हाट में सामान ले जाने का à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¾ बहà¥à¤¤ देना पड़ता था, जिसके कारण उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मà¥à¤¨à¤¾à¤«à¤¾ बहà¥à¤¤ कम होता था।
उसी गाà¤à¤µ में à¤à¤• ऊà¤à¤Ÿ वाला à¤à¥€ रहता था। कà¥à¤‚जड़ा और कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° ने सोचा कि वे अपना सामान हाट में ऊà¤à¤Ÿ पर लादकर ले जाà¤à¤à¤—े और à¤à¤¾à¤¡à¤¼à¤¾ आधा-आधा चà¥à¤•à¤¾ देंगे। à¤à¤¸à¤¾ करने से दोनों को ही फायदा होगा। जैसे ही हाट का दिन आया तो कà¥à¤‚जड़े ने ऊà¤à¤Ÿ की पीठपर à¤à¤• ओर अपनी सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ और फल लाद दिठतो दूसरी ओर कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° ने अपने मिटà¥à¤Ÿà¥€ के बरà¥à¤¤à¤¨ लाद दिà¤à¥¤ दोनों ऊà¤à¤Ÿ के साथ-साथ चलने लगे। ऊà¤à¤Ÿ वाला à¤à¥€ रसà¥à¤¸à¥€ पकड़कर आगे-आगे चल रहा था। थोड़ी दूर चलने पर ऊà¤à¤Ÿ ने अपनी गरà¥à¤¦à¤¨ घà¥à¤®à¤¾à¤ˆ तो उसे सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पतà¥à¤¤à¥‡ लटकते हà¥à¤ दिखाई दिà¤à¥¤ ऊà¤à¤Ÿ की डोरी लमà¥à¤¬à¥€ होने के कारण उसने गरà¥à¤¦à¤¨ पीछे करके सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पतà¥à¤¤à¥‡ खा लिये।
कà¥à¤‚जड़े को यह देखकर बहà¥à¤¤ दà¥à¤ƒà¤– हà¥à¤†à¥¤ कà¥à¤› ही देर में ऊà¤à¤Ÿ ने जब दोबारा गरà¥à¤¦à¤¨ पीछे करके सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के पतà¥à¤¤à¥‡ खाठतो कà¥à¤‚जड़े ने ऊà¤à¤Ÿ वाले से कहा―‘à¤à¥ˆà¤¯à¤¾, ऊà¤à¤Ÿ सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ खा रहा है। इसकी डोरी खींचकर रखो। वरना यह सारी सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¤¾à¤ खराब कर देगा।’ ऊà¤à¤Ÿ वाले ने कà¥à¤‚जड़े की बात मानकर रसà¥à¤¸à¥€ खींचकर पकड़ ली। लेकिन ऊà¤à¤Ÿ अपनी आदत से बाज नहीं आया और बार-बार पीछे गरà¥à¤¦à¤¨ करके सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को खाता रहा। कà¥à¤‚जड़े का नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ होता देखकर कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° को बहà¥à¤¤ मजा आ रहा था। कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° तो कà¥à¤‚जड़े का मजाक बनाने लगा। कà¥à¤‚जड़ा अपने मन में सोचने लगा कि हाट पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡-पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤° कम हो जाà¤à¤—ा।
सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤° कम होते देखकर कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° हà¤à¤¸à¤¨à¥‡ लगा। तब कà¥à¤‚जड़े ने कहा―‘देखना है ऊà¤à¤Ÿ किस करवट बैठता है?’ धीरे-धीरे सबà¥à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤° कम हो गया तो बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¥à¤•à¤¾à¤µ नीचे की ओर अधिक हो गया। कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° को देखकर चिंता होने लगी। कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° यह सोचने लगा कि देखना है कि ऊà¤à¤Ÿ किस करवट बैठता है। जब ऊà¤à¤Ÿ हाट में पहà¥à¤à¤š गया तो कà¥à¤‚जड़े और कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° ने अपना सामान लगाने के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर ऊà¤à¤Ÿ को बैठा दिया। बरà¥à¤¤à¤¨à¥‹à¤‚ का à¤à¤¾à¤° अधिक होने के कारण ऊà¤à¤Ÿ उसी करवट से बैठगया। बेचारे कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° के सारे बरà¥à¤¤à¤¨ टूट गà¤à¥¤ कà¥à¤‚जड़े ने कà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤° का नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ होते देखकर कहा―‘देखना है, ऊà¤à¤Ÿ किस करवट बैठता है?’
शिकà¥à¤·à¤¾:- दूसरों का नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ होते देखकर खà¥à¤¶ नहीं होना चाहिà¤à¥¤