1:- हमें हिचकी कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ आती है?
उतà¥à¤¤à¤°:- हमारी छाती और पेट के बीच में à¤à¤• डायफà¥à¤°à¤¾à¤® होता है। जब हमारे पेट में अमà¥à¤² या गैस बढ़ जाती है तो डायफà¥à¤°à¤¾à¤® उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¿à¤¤ होकर सिकà¥à¤¡à¤¼ जाता है। इस सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में फेफड़ों में जाने वाली हवा रूकावट के कारण à¤à¤• अजीब-सी आवाज पैदा करती है। इसी को आम à¤à¤¾à¤·à¤¾ में हिचकी आना कहते हैं। ठंडा पानी पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि ठंडे पानी से डायफà¥à¤°à¤¾à¤® में हà¥à¤ˆ उतà¥à¤¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ समापà¥à¤¤ हो जाती है। थोड़ी देर साà¤à¤¸ रोकने या अचानक ही किसी डरावनी चीज के देखने पर हिचकी आना बंद हो जाती है।
2:-पतà¤à¤¡à¤¼ में पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का रंग बदल जाता है। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- पौधे दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होते हैं। à¤à¤• सदाबहार जो कि बारह महीने ही हरा-à¤à¤°à¤¾ रहता है। दूसरे वे पौधे जिनकी साल के विशेष महीने में पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ à¤à¤¡à¤¼ जाती हैं। पतà¤à¤¡à¤¼ में पौधे विशà¥à¤°à¤¾à¤® करते हैं। पतà¤à¤¡à¤¼ आने पर पौधों की पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ पीली होकर à¤à¤¡à¤¼ जाती हैं। इसके बाद पौधों पर नयी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ आती हैं। पतà¤à¤¡à¤¼ के दौरान पौधे अपने à¤à¥‹à¤œà¤¨ की पूरà¥à¤¤à¤¿ पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारà¥à¤¬à¤¨à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹ से करते हैं। पौधे à¤à¥€ जीवित पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की तरह अपशिषà¥à¤Ÿ पदारà¥à¤¥ पैदा करते हैं, लेकिन ये अनà¥à¤¯ जीवों की तरह इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ततà¥à¤•à¤¾à¤² तà¥à¤¯à¤¾à¤—ते नहीं हैं बलà¥à¤•à¤¿ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह पतà¤à¤¡à¤¼ आने तक अपनी पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के ऊतà¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में जमा करके रखते हैं। पतà¤à¤¡à¤¼ के मौसम में पौधे पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¤à¥€ उपयोगी पदारà¥à¤¥ अवशोषित कर लेते हैं और केवल अपशिषà¥à¤Ÿ पदारà¥à¤¥ ही छोड़ते हैं। इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ अपशिषà¥à¤Ÿ पदारà¥à¤¥à¥‹ के कारण ही पतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का रंग à¤à¥‚रा, पीला और लाल हो जाता है।
3:- वायॠमें उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ जल के à¤à¥€à¤¤à¤° गोताखोर को कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ नहीं सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ देती है?
उतà¥à¤¤à¤°:- वायॠतथा जल में धà¥à¤µà¤¨à¤¿ की चाल में à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ होती है। वायॠसे उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ का अधिकांश à¤à¤¾à¤— (99.4%) जल की सतह से परावरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ हो जाता है। केवल नगणà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— ही अपरिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ होता है। अतः वायॠसे जल में धà¥à¤µà¤¨à¤¿ पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ नहीं कर पाती है।
4:- उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ गैसें अकà¥à¤°à¤¿à¤¯ होती हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ गैसों का इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¿à¤• विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ होती है। हीलियम को छोड़कर ( जिसके बाहà¥à¤¯à¤¤à¤® ककà¥à¤· में 2 इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨ होते हैं ) सà¤à¥€ उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ गैसों के बाहà¥à¤¯à¤¤à¤® ककà¥à¤· में आठइलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨ होते हैं और सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¥€ होते हैं। अतः ये न तो इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨ तà¥à¤¯à¤¾à¤—ते हैं, न इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते हैं और न ही इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की दूसरे परमाणॠके साथ साà¤à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¥€ करते हैं। अतः उतà¥à¤•à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿ गैसें अकà¥à¤°à¤¿à¤¯ होती हैं।
5:- लाइसोसोम को 'आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ की थैली' कहते हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
उतà¥à¤¤à¤°:- लाइसोसोम गोल या अनियमित आकार की रचनाà¤à¤ हैं। इनका कारà¥à¤¯ कोशिकाओं के अनà¥à¤¦à¤° पहà¥à¤à¤šà¥‡ खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹ तथा बाहà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹ का पाचन करना है। इनके फटने पर कोशिकांगों का सà¥à¤µà¤ªà¤¾à¤šà¤¨ à¤à¥€ हो जाता है, इसलिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ 'आतà¥à¤®à¤¹à¤¤à¥à¤¯à¤¾ की थैली' कहते हैं ये W.B.C. में पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨ जीवाणॠ, विषाणॠ, आटोगेमी में पà¥à¤°à¥‹à¤Ÿà¥€à¤¨, वसा, गà¥à¤²à¤¾à¤‡à¤•à¥‹à¤œà¤¨, टेडपोल के कायांतरण में गिल व पूà¤à¤› पाचन कर देता है।