बकà¥à¤¸à¤° के मैदान में à¤à¤• बार हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठऔर शेरशाह सूरी का घमासान यà¥à¤¦à¥à¤§ चल रहा था। यà¥à¤¦à¥à¤§ में हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठबà¥à¤°à¥€ तरह हार गया और उसे शेरशाह सूरी की सेना ने तीनों से घेर लिया। हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठअपनी जान बचाने के लिठयà¥à¤¦à¥à¤§ के मैदान से à¤à¤¾à¤—कर गंगा के किनारे आ पहà¥à¤à¤šà¤¾à¥¤ हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठने अपने घोड़े को गंगा के अनà¥à¤¦à¤° उतारने की बहà¥à¤¤ कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठको डर था कि यदि शतà¥à¤°à¥ सेना यहाठपहà¥à¤à¤š गई तो उसे गिरफà¥à¤¤à¤¾à¤° कर लेगी।
उसी समय निजाम à¤à¤¿à¤¶à¥à¤¤à¥€ अपनी मशक में पानी à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठगंगा के किनारे आया। निजाम बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¤¾ तैराक था। हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठने निजाम को अपनी परेशानी से अवगत कराया। निजाम हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठको मशक पर लिटा कर गंगा पार कराना चाहता था। किनà¥à¤¤à¥ हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठपहले तो मशक पर गंगा पार करना ही नहीं चाहते थे, लेकिन बाद में गंगा पार करने का और कोई रासà¥à¤¤à¤¾ न देखकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ निजाम की बात माननी पड़ी। निजाम ने कà¥à¤› ही देर में हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठको मशक पर लिटाया और तैरते हà¥à¤ गंगा पार करा दी।
हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठने निजाम को बहà¥à¤¤ सारा इनाम देने का वचन दिया। निजाम ने कहा ―' जहाà¤à¤ªà¤¨à¤¾à¤¹, यदि आप मà¥à¤à¥‡ कà¥à¤› देना चाहते हैं तो अà¥à¤¾à¤ˆ दिन की बादशाहत दे दीजिà¤à¥¤'
हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठने à¤à¤¿à¤¶à¥à¤¤à¥€ की बात मान ली और उसे अà¥à¤¾à¤ˆ दिन की बादशाहत देने का à¤à¤²à¤¾à¤¨ कर दिया।
हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठने शाही हजà¥à¤œà¤¾à¤® से निजाम à¤à¤¿à¤¶à¥à¤¤à¥€ के बाल कटवाà¤, शाही कपड़े पहनाकर राजगदà¥à¤¦à¥€ पर बैठा दिया। हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठने दरबारियों से कहा―'आज से ये बादशाह हैं और इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ के हà¥à¤•à¥à¤® का पालन किया जाà¤à¥¤' इतना कहकर हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठवहाठसे चले गà¤à¥¤
जब हà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‚ठचले गठतो निजाम बादशाह ने वजीर से कहा ―'मैं टकसाल जाना चाहता हूà¤à¥¤' वजीर निजाम बादशाह को टकसाल ले गया, जहाठसिकà¥à¤•à¥‡ बनते थे। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तà¥à¤°à¤‚त टकसाल में बनने वाले सिकà¥à¤•à¥‹à¤‚ पर रोक लगा दी और चमड़े के सिकà¥à¤•à¥‡ बनाने का काम तेजी से शà¥à¤°à¥‚ हो गया। दिन-रात चमड़े के सिकà¥à¤•à¥‡ बनने लगे।
निजाम बादशाह ने खजांची को हà¥à¤•à¥à¤® दिया कि पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ सà¤à¥€ सिकà¥à¤•à¥‹à¤‚ को खजाने में डाल दिया जाà¤à¥¤ सà¤à¥€ लेन-देन चमड़ों के सिकà¥à¤•à¥‹à¤‚ से करने का आदेश जारी कर दिया। बड़े-बड़े सेठों को चमड़े के सिकà¥à¤•à¥‡ देकर पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ सिकà¥à¤•à¥‹à¤‚ को लेकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गलवा दो।
अà¥à¤¾à¤ˆ दिन में पूरे राजà¥à¤¯ में चमड़े के सिकà¥à¤•à¥‡ फैल गà¤à¥¤ अà¥à¤¾à¤ˆ दिन बीत जाने के बाद निजाम ने शाही पोशाक उतार दी और अपनी मशक लेकर वहाठसे चला गया।
पूरे राजà¥à¤¯ में चमड़े के सिकà¥à¤•à¥‡ फैल चà¥à¤•à¥‡ थे। जिसके हाथ में à¤à¥€ वह चमड़े का सिकà¥à¤•à¤¾ जाता, वही कहता ―' यह अà¥à¤¾à¤ˆ दिन की बादशाहत का कमाल है।'
शिकà¥à¤·à¤¾ ― इस कहानी से हमें यह शिकà¥à¤·à¤¾ मिलती है कि यदि बादशाह (वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤•) चाहे तो à¤à¤• दिन में ही पूरे राजà¥à¤¯ की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ बदल सकता है।